facebook aur profile lock
जिनके प्रोफ़ाइल पर ताला पड़ा हो, उनसे कोई संवाद कैसे कर सकता है? वे संवाद में शामिल भी किस मुँह से होना चाहेंगे?
ताला-जड़ित प्रोफ़ाइल लेकर "मित्र" बनने की इच्छा ज़ाहिर करना अपने आप में हास्यास्पद है। परिचय ताले में रखना है और दोस्ती का हाथ भी बढ़ाना है? ऐसा ही है जैसे किसी दरवाज़े पर दस्तक दें, पर अपने चेहरे को ओट देकर।
यह घूँघट-प्रथा छोड़ो यारो। अगर खुले में — सार्वजनिक मंच पर — आ ही खड़े हुए हो।
औरों का पता नहीं, मैं 'दोस्त' बनाने से पहले प्रोफ़ाइल देखता हूँ। अक्सर जिरह में जवाब देने से पहले भी। वैसे भी फ़ेसबुक ने पाँच हज़ार पर गाँठ लगा रखी है। एडजस्ट करने में माकूलियत भी तो हो। कोई ब्लॉक होता है, तब जाकर जगह बनती है।
आप मेरी हर पोस्ट पढ़ना भी चाहें और अपने खोल में दुबके भी रहें — यह नहीं चलेगा मितरो।
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