Radio का इतिहास और विकास यात्रा

वर्तमान समय में संचार के अन्य माध्यमों के आने से बेशक आज रेडियो एक सशक्त माध्यम के रूप में न समझा जाता हो पर आज भी यह माध्यम सूचनाओं के आदान प्रदान को गोपनीय रूप या विस्तृत रूप से पहुँचाने या प्राप्त करने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। आज का आधुनिक युग जिसे इंटरनेट युग भी कहा जा सकता है के चलते कई ऐसे माध्यम आगए हैं जो त्वरित ही हमें घटित होने वाली घटनाओं की सूचना दे देते है। आज प्रत्येक सूचना एक बटन के क्लिक के दूरी पर है। पर आज से 100 साल पहले जब मुद्रित माध्यम के अलावा कोई और संचार का माध्यम नही था तब रेडियो से आकर संचार क्षेत्र में क्रांति की लव जलाई।
History of Radio

रेडियो एक श्रव्य माध्यम है जिसे अनपढ़ से अनपढ़ भी समझ सकता है इसकी भाषा सरल और सहज होने के कारण इसका विकास और तेजी से हुआ। बेशक आज के युग मे मोबाइल, टीवी आदि माध्यम है पर रेडियो द्वारा दी जाने वाली सेवाओं में बदलाव की वजह से आज भी रेडियो लोगों की जिंदगी का अहम हिस्सा बना हुआ है। इसका एक कारण यह भी है कि यह हर ब्रॉडबैंड, मोबाइल आदि में रहता है।

रेडियो के शुरुआत:- रेडियो का आविष्कार इटली के एक वैज्ञानिक मारकोनी ने 1880 में ‘इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों’ की खोज के बाद और 1890 में wireless telegraph के खोज के बाद(इस टेलीग्राफ की मदद से एक छोर से दूसरे छोर तक बातें करना संभव हो गया) 1896 में किया था, इन्होंने सबसे पहले इंग्लैंड के कॉर्नवाल इलाके से अटलांटिक महासागर तक आवाज भेजने व प्राप्त करने का कार्य किया ।

रेडियो एक श्रव्य माध्यम है जिसे अनपढ़ से अनपढ़ भी समझ सकता है इसकी भाषा सरल और सहज होने के कारण इसका विकास और तेजी से हुआ। बेशक आज के युग मे मोबाइल, टीवी आदि माध्यम है पर रेडियो द्वारा दी जाने वाली सेवाओं में बदलाव की वजह से आज भी रेडियो लोगों की जिंदगी का अहम हिस्सा बना हुआ है। इसका एक कारण यह भी है कि यह हर ब्रॉडबैंड, मोबाइल आदि में रहता है।

रेडियो के शुरुआत:- रेडियो का आविष्कार इटली के एक वैज्ञानिक मारकोनी ने 1880 में ‘इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों’ की खोज के बाद और 1890 में wireless telegraph के खोज के बाद(इस टेलीग्राफ की मदद से एक छोर से दूसरे छोर तक बातें करना संभव हो गया) 1896 में किया था, इन्होंने सबसे पहले इंग्लैंड के कॉर्नवाल इलाके से अटलांटिक महासागर तक आवाज भेजने व प्राप्त करने का कार्य किया ।

आज़ादी के बाद रेडियो के पाँच रीजनल zone थे:-

  • New delhi:- For the North zone
  • Kolkata:- East zone
  • Guwahati:- North-East zone
  • Mumbai(Bombay):- West zone
  • Chennai(Madrasa):- South zone

स्वतंत्रता के दौरान केवल 6 रेडियो स्टेशन भारत में थे।

आज़ादी के बाद भारत मे नवंबर 1947 को जालंधर में पहला रेडियो स्टेशन खोला गया।

श्रीनगर में रेडियो की शुरूआत 1 जुलाई 1948 को प्रारंभ हुई।

ALL INDIA RADIO को वर्ष 1957 में एक और नाम दे दिया गया जिसका नाम आकाशवाणी है, यह आल इंडिया रेडियो का हिंदी में रूपांतरण है।

1967 में Commercial radio service की शुरुआत (विविध भारती एंड कमर्शियल हेड क्वार्टर इन मुम्बई)।

रेडियो को Ministry of Information and Broadcasting द्वारा control किया जाता है।

15 august 1993 को प्राइवेट fm को आकाशवाणी की फ्रीक्वेंसी पर 5, 10, 15 मिनट का स्लॉट देने की शुरुआत की गई।यह शुरुआत एक्सपेरिमेंट बेस पर थी। और बाद में, 1993, 1994, 1995 में प्राइवेट fm की मांग बढ़ने लगी क्योंकि लोगों की रोचकता fm पर ज्यादा बढ़ गयी थी, इसलिए सरकार ने 2000 के लगभग में fm के फील्ड में कुछ कंडीशन(प्राइवेट fm अपने चैनल पर समाचार प्रसारित नहीं करेंगे) लगाकर रेडियो में प्राइवेट कंपनी को आने की अनुमति प्रदान कर दी।

1990s के बाद all india radio के लगभग 146 AM (Amplitude Modulation, they are known as medium wave) स्टेशन हो गए। 1990s के बीच मे ये 31 AM और FM(Frequency modulation) स्टेशन थे।

वर्ष 2000 में इंफोर्मेशन और प्रद्योगिकी के क्षेत्र में क्रांति के आने से , रेडियो का प्रसारण क्षेत्र जो अभी तक रेडियो के माध्यम से ही होता था वह डिजिटल प्रद्योगिकी से भी होना प्रारंभ हो गया। आज आल इंडिया रेडियो (आकाशवाणी) का मोबाइल ऐप आगया है। यूट्यूब पर भी इसका प्रसारण हो रहा है और साथ ही अन्य प्लेटफार्म पर भी इसका प्रसारण होने लगा है। जो कि रेडियो के लिए एक अच्छा संकेत पहले तो नहीं पर अब माना जाने लगा है।

  • 20 अगस्त को श्रोता दिवस मनाया जाता है।
  • आपातकाल के दौरान रेडियो को इंदिरा वाणी कहा जाता था।

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